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सोने (गोल्ड) का रोज़ाना इन्वेस्टमेंट अब जार एप के साथ अब बहुत ही आसान है। एक निवेशक गाइड

October 27, 2022

हम सभी इस बात से सहमत हो सकते हैं कि सोने के आभूषण (गोल्ड ज्वैलरी) न केवल एक फैशन एक्सेसरी है बल्कि फाइनेंशियल कठिनाइयों के समय हमारी मदद करने का एक साधन भी है।

नतीजतन, इन्वेस्टमेंट और व्यापार के मामले में सोने का सबसे लंबा रिकॉर्ड है और सोना खरीदना लंबे समय से फाइनेंशियल सुरक्षा के रूप में माना जाता है।

‍सोने की ओनरशिप दो प्रकार की होती हैं: काग़ज़ी और फिजिकल। फिजिकल सोना ज्वैलरी, सिक्के और सोने की छड़ (गोल्ड-बार) के रूप में खरीदा जा सकता है, जबकि काग़ज़ का सोना, गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETFs) और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGBs) के रूप में खरीदा जा सकता है। इसके अलावा गोल्ड म्यूचुअल फंड और डिजिटल गोल्ड भी होता है।

"डिजिटल गोल्ड के बारे में वह सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं- इन्फोग्राफिक्स के साथ लाभ, रिस्क और टैक्सेशन" पर हमारा आर्टिकल देखें।

यहां सभी प्रकार के गोल्ड इन्वेस्टमेंट के लिए आपका किकस्टार्टर गाइड है:

1. आभूषण (ज्वैलरी):

सोना बहुत क़ीमती होता है। लेकिन इसे ज्वैलरी के रूप में पहनना सुरक्षित नहीं है। यह बहुत महंगा है और डिज़ाइन पुराना होने आदि के मुद्दे उठते हैं।

फिर इसमें मेकिंग और डिलीवरी चार्ज जोड़ा जाता है जो महंगा हो सकता है। सोने की ज्वैलरी पर मेकिंग चार्ज लगता है, जो आमतौर पर सोने की क़ीमत का 7% से 12% के बीच होता है (और यूनिक डिजाइन में यह चार्ज 25% तक पहुंच सकता है), और यह नॉन-रिफंडेबल होता हैं।

और हमें इससे जुड़े सुरक्षा ज़ोखिमों को भी अनदेखा नहीं करना चाहिए।

2. सोने के सिक्के (गोल्ड कॉइन)

ज्वैलर्स, बैंक, नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (NBFCs) और अब यहां तक ​​कि ई-कॉमर्स वेबसाइटें भी सोने के सिक्के (गोल्ड कॉइन) बेचती हैं।

सरकार ने एक तरफ अशोक चक्र और दूसरी तरफ महात्मा गांधी के राष्ट्रीय चिह्न (नेशनल एम्ब्लम) वाले सोने के सिक्के जारी किए हैं।

सिक्के 5g और 10g में उपलब्ध होंगे, जबकि बार 20g में उपलब्ध होंगी।

भारतीय सोने के सिक्के और बार में 24 कैरेट की शुद्धता (प्यूरिटी) और 999 की पवित्रा के साथ-साथ बेहतर जालसाजी-रोधी (एंटी-काउंटरफिटिंग) टेक्नोलॉजी और टेम्पर-प्रूफ पैकेजिंग है।

सभी सिक्कों और बार को BIS गाइडलाइन के अनुसार हॉलमार्क किया जाएगा जो अधिकृत MMTC स्टोर के साथ-साथ कुछ बैंक की शाखाओं (ब्रांच) और डाकघर (पोस्ट ऑफिस) के द्वारा वितरित किए जाते हैं।

फिर, यहां सुरक्षा ज़ोखिम हैं। 10 साल बाद इसे पॉलिश की भी ज़रूरत पड़ सकती है, जिससे इसकी लागत भी बढ़ेगी।

3. गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETFs) 

गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETFs) द्वारा पेपर गोल्ड खरीदना, लागत को कम करने का एक प्रभावी तरीका है।

सोना एक अंडरलाइंग संपत्ति है और इस तरह के इन्वेस्टमेंट (खरीदना और बेचना) स्टॉक एक्सचेंज (NSE या BSE) पर होते हैं।

इसके अलावा, ज्वैलरी, बार या सिक्कों की खरीदने से जुड़ी उच्च प्रारंभिक खरीद (हाई इनिशियल बाइंग) और यहां तक ​​कि बिक्री लागत (सेलिंग कॉस्ट) कम लागत वाले (लो कॉस्ट) गोल्ड ETF को एक लाभ के साथ प्रदान करती है।

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इसका एक अन्य लाभ मूल्य में पारदर्शिता (प्राइसिंग ट्रांसपेरेंसी) है। फिजिकल सोने की क़ीमत बेंचमार्क है क्योंकि जिस क़ीमत पर इसे खरीदा जाता है शायद वह सोने की वास्तविक क़ीमत के सबसे ज़्यादा करीब होती है।

आपको स्टॉकब्रोकर के साथ केवल एक ट्रेडिंग एकाउंट और एक डीमैट एकाउंट चाहिए।

आप इसे सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) द्वारा एकमुश्त भुगतान (लम्पसम अमाउंट) या रेगुलर इंटरवल पर खरीद सकते हैं। इसके द्वारा आप 1g सोना भी खरीद सकते हैं।

हालांकि इसमें कोई प्रवेश (एंट्री) या निकास (एग्जिट) फीस नहीं है लेकिन यहां कुछ अन्य लागत शामिल हैं:

  1. एक्सपेंस रेश्यो (फंड मैनेजमेंट के लिए), जो लगभग 1% होता है और अन्य म्यूचुअल फंड की तुलना में सामान्य रूप से सस्ता है।
  2. हर बार जब आप गोल्ड ETF यूनिट खरीदते या बेचते हैं तो ब्रोकर फीस।
  3. ट्रैकिंग इनएक्यूरेसी, जो टेक्नीकली कोई चार्ज नहीं है, लेकिन रिफंड पर प्रभाव डालता है। यह फंड के खर्च और कैश होल्डिंग के कारण उत्पन्न होता है, जो वर्तमान सोने की क़ीमत (करंट गोल्ड प्राइस) को प्रभावित नहीं करता है।

4. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGBs)

पेपर गोल्ड खरीदने का दूसरा तरीका सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGBs) खरीदना है।

वे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए गए सोने के ग्राम के बदले जारी किए सर्टिफिकेट हैं, जिससे आप अपनी फिजिकल संपत्ति की सुरक्षा की चिंता किए बिना सोने में इन्वेस्ट कर सकते हैं।

हालांकि ये सरकार (गवर्नमेंट) द्वारा जारी किए जाते हैं और ये आसानी से उपलब्ध भी नहीं होते हैं। इसके बजाय, सरकार इंवेस्टर के लिए SGBs खरीदने के लिए समय-समय एक विंडो खोलती है।

ऐसा औसतन हर 2-3 महीने में होता है और विंडो लगभग एक सप्ताह तक खुली रहेगी।

SGBs ​​की अवधि (टेन्योर) 8 साल की होती है, लेकिन इसके एनकेशमेंट/रिडेम्पशन की इजाजत, जारी होने की तारीख के पांचवें वर्ष के बाद ही दी जाती है।

क्या आप पहली बार इन्वेस्ट कर रहे हैं? फाइनेंशियल ज्ञान नहीं है? एक बार में बड़ी रकम इन्वेस्ट करने में झिझक रहे हैं?

तो आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प होगा कि आप छोटे इन्वेस्टमेंट प्लान के साथ डिजिटल गोल्ड डेली में इन्वेस्ट करें।

5. डिजिटल गोल्ड (सोना)

डिजिटल गोल्ड, सोने में इन्वेस्टमेंट करने के सबसे आसान, पारदर्शी और सुरक्षित तरीकों में से एक है।

इसमें एक्सचेंज रेट में हेरफेर और विविधताओं का कोई डर नहीं है और इन्वेस्टर को वास्तव में फिजिकल गोल्ड को छुए बिना पूरी दुनिया में आसानी से ट्रेड करने की अनुमति देता है।

आप कई एप और वेबसाइट द्वारा डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं। हालांकि, केवल 3 गोल्ड कंपनियां ही आपका सोना रखती हैं, जैसे कि ऑगमोंट गोल्ड लिमिटेड, डिजिटल गोल्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड - सेफगोल्ड, और MMTC-PAMP इंडिया प्राइवेट लिमिटेड।

यह ऑनलाइन सोना खरीदने और इंवेस्ट करने का एक सुरक्षित, आसान और किफ़ायती तरीका है जिसमें किसी अतिरिक्त स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन लागत की भी ज़रूरत नहीं होती है।

आप चाहें तो इसे फिजिकल रूप में अपने घर भी ला सकते हैं। लेकिन आप जानते हैं कि इसमें सबसे अच्छी बात क्या है? इसमें आप कम से कम ₹10 से इन्वेस्टमेंट शुरू कर सकते हैं।

आप इसमें रोज़ाना जार एप के माध्यम से कैसे इन्वेस्ट कर सकते हैं?

जार एक ऑटोमैटिक इन्वेस्टमेंट एप है जो आपको अपने ऑनलाइन ट्रांजक्शन से अतिरिक्त बदलाव के साथ, ऑटोमैटिक रूप से डिजिटल गोल्ड में पैसे बचाने और इन्वेस्ट करने देता है।

क्या यह सही नहीं है? यह ज़ोखिम भरा (रिस्की) इन्वेस्टमेंट नहीं है और यह आपकी जेब पर भी भारी नहीं पड़ेगा।

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