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सर्वेक्षण बताते हैं कि पुरुष, महिलाओं की तुलना में अधिक फाइनेंशियली लिटरेट होते हैं, लेकिन वह कौन से फैक्टर हैं जो महिलाओं को पीछे रखते हैं? ज्यादा जानने के लिए पढ़ें
पिछले एक दशक में, महिलाओं ने एजुकेशन, वर्कप्लेस और सोशल डेवलपमेंट जैसे जीवन के सभी क्षेत्रों में जबरदस्त कामयाबी हासिल की हैं।
अब वह पुरुषों के बराबर आने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन अभी भी उन्हें बहुत कुछ हासिल करना बाकी है, विशेष रूप से फाइनेंशियल लिटरेसी के संबंध में और यह आपको फाइनेंशियल फ्रीडम पाने में कैसे मदद कर सकता है।
इंटरनेशनल नेटवर्क ऑफ फाइनेंशियल एजुकेशन की स्टडी और रिसर्च से यह पता चला है कि फाइनेंस के बारे में नॉलेज और अवेयरनेस के बराबर लेवल पर लाने के लिए महिलाओं की इतनी बड़ी पॉपुलेशन के एक बड़े प्रतिशत को अभी भी लंबा रास्ता तय करना है।
जैसा कि हम जानते हैं, महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा समय तक जीवित रहती हैं और कम इनकम और छोटी सी पेंशन के साथ इनकी प्रोफेशनल लाइफ छोटी होती है।
इस वजह से फाइनेंशियल लिटरेसी की कमी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक अफेक्ट करती है।
जैसे-जैसे महिलाएं अपनी रिटायरमेंट की उम्र तक पहुंचती हैं, उनके पास बहुत कम या कोई भी सेविंग नहीं होने का रिस्क होता है।
स्टडी में यह भी पाया गया है कि जिन महिलाओं की शादी नहीं हुई है या उनकी रिटायरमेंट की उम्र में डिवोर्स हो गया है, उनकी परमानेंट इनकम और वर्किंग इनकम कम है।
यह माना जाता था कि महिलाएं कंपरैटिवली रिस्क लेने से बचती हैं और इस प्रकार वह पुराने तरीकों से इन्वेस्ट करती हैं और अपने फाइनेंशियल व्यहवार को लेकर कम आत्मविश्वासी होती हैं।
फाइनेंशियल लिटरेसी की कमी निश्चित रूप से एक ऐसा फैक्टर है जो महिलाओं के जीवन में धन की कमी बनाता है, खासकर जब वह अपनी रिटायरमेंट की उम्र के करीब होती हैं।
यह समझना बहुत जरूरी है कि फाइनेंस को लेकर पुरुषों और महिलाओं की एजुकेशन का लेवल अलग-अलग होता है।
पुरुषों और महिलाओं के लिटरेसी लेवल के बीच एक अंतर है और इसे खत्म करने की शुरुआत से पहले इसे स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।
डेवलपमेंट की कुछ पॉलिसी हैं जिनका उद्देश्य महिलाओं को सेविंग और इनवेस्टमेंट की आदतों के बारे में अवेयर करना है।
जीवन के हर क्षेत्र में नारी अधिकारों के लिए प्रयासरत इस युग में, इकोनॉमिक एक्टिविटीज़ में भाग लेने और अपने और अपने परिवार के लिए फाइनेंस के संबंध में निर्णय लेने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान और पर्याप्त रूप से लिटरेट होने की आवश्यकता है।
परिवार में महिलाओं की महत्वपूर्ण और जटिल स्थिति को देखते हुए, कई अभी भी घर-बार के चक्कर में ही उलझी रहती हैं, सेविंग अकाउंट खोलना या यहां तक कि अपने फाइनेंस को मैनेज करने के बारे में उनका कोई सोच-विचार ही नहीं होता है।
विशेष रूप से जो महिलाएं भारत के ग्रामीण क्षेत्रों से ताल्लुक रखती हैं, वह रोज के घरेलू कामों के आगे अपने फाइनेंशियल जरूरतों को प्राथमिकता नहीं देती हैं।
इसके साथ ही कई एडिशनल फैक्टर भी हैं जो इनका फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन की सर्विसेज तक पहुंचना और भी मुश्किल कर देते हैं।
फाइनेंशियल इंडस्ट्री रेगुलेटरी अथॉरिटी या FINRA की एक स्टडी के अनुसार, महिलाएं अपने पुरुष साथियों की तुलना में कम फाइनेंशियली लिटरेट होती हैं।
मिलेनियल पुरुषों के 29 प्रतिशत की तुलना में केवल 18 प्रतिशत मिलेनियल महिलाओं ने फाइनेंशियल लिटरेसी का उच्च स्तर का प्रदर्शन किया।
इसके बारे में जब सर्वे किया गया, तो सबसे ज्यादा अफेक्टेड रूरल बैकग्राउंड से आने वाली महिलाएं हुईं।
भविष्य के लिए इकोनॉमिकली तैयार होने के दौरान उन्हें किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? हमने एक सर्वेक्षण के आधार पर निम्नलिखित बिंदुओं का पता लगाया।
लेकिन फाइनेंशियल नॉलेज फाइनेंशियल लिटरेसी की दो-तिहाई स्टोरी ही बताता है। शेष तीसरा पहलू?
फाइनेंशियल लिटरेसी टेस्ट को मल्टीपल चॉइस प्रश्नों के आधार पर बनाए गए थे। उपलब्ध उत्तर ऑप्शन में से एक में "पता नहीं" शामिल था।
नेशनल ब्यूरो इकोनॉमिक रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार यह दिखाया गया है कि महिलाओं ने फाइनेंशियल लिटरेसी टेस्ट में अपने पुरुष साथिओं की तुलना में कई मायनों में खराब प्रदर्शन किया है।
महिलाओं को अधिकतर प्रश्न गलत लगे और जब उन्हें ऑप्शन दिया गया, तो "पता नहीं" ऑप्शन को चुना ।
लेकिन उसी स्थिति में जब "पता नहीं" ऑप्शन नहीं दिया गया, तो देखा गया कि महिलाओं ने ज्यादातर सही उत्तर को चुना था।
दूसरे शब्दों में हमें यह बताता है कि स्टैटिस्टिकली महिलाओं की फाइनेंशियल लिटरेसी पुरुषों की तुलना में कम है, लेकिन अगर वह जानती भी हैं, तो भी वह इस बारे में कॉन्फिडेंट नहीं हैं।
फाइनेंशियल लिटरेसी में जेंडर गैप बना हुआ है और इसमें से एक-तिहाई वजह फाइनेंस को लेकर महिलाओं में पाया जाने वाला कम आत्मविश्वास है।
इनवेस्टिंग में रिस्क डायवर्सिफिकेशन के सवालों के लिए, 30% पुरुषों की तुलना में 55% महिलाओं ने "पता नहीं" चुना था।
34% महिलाओं की तुलना में 62% पुरुषों ने सही उत्तर दिया। इस प्रकार, यह लगभग 28% अंक का अंतर बना देता है।
बाद में, लोगों के इन्हीं समूह को रिस्क डायवर्सिफिकेशन पर एक ही प्रश्न का उत्तर चुनने के लिए मजबूर किया गया, 73% महिलाओं की तुलना में 82% पुरुषों ने सही उत्तर दिया, जो 9 प्रतिशत अंक का अंतर बना देता है।
निष्कर्ष यह है कि जेंडर गैप को ख़त्म करने का जिम्मेदार अन्य फैक्टर्स में से एक महिलाओं में आत्मविश्वास की कमी भी है।
यह गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि रिसर्च के अनुसार उनके लिए टार्गेटेड एजुकेशन प्रोग्राम के माध्यम से महिलाओं की फाइनेंशियल नॉलेज को बढ़ावा देना "फाइनेंशियल लिटरेसी जेंडर गैप को ख़त्म करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है, यदि महिलाओं और पुरुषों के बीच आत्मविश्वास में अंतर बना रहता है।"
जेंडर डिफ्रेंस यह साबित करने के लिए काफ़ी हैं कि महिलाओं को ज्यादा इकोनॉमिकली बनाने की आवश्यकता क्यों है।
सभी रिसर्च बताती हैं कि कोई भी देश चाहे विकसित हो या अभी भी विकासशील हो, सभी देशों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को फाइनेंस के बारे में कम नॉलेज और अवेयरनेस है।
ऊपर बताए गए सभी कारण इस बात पर इशारा करते हैं कि कैसे महिलाओं की फाइनेंशियल कमजोरियां इकोनॉमिक और फाइनेंशियल मौकों की पहुंच में जेंडर के सामने आने वाली दिक्क्तों का प्रतीक हैं।
जबकि विवाहित महिलाओं से घर की देखभाल करने और नियमित फाइनेंस को मैनेज करने की अपेक्षा की जाती है, पर वहीं वह फाइनेंस के बारे में थोड़ी बहुत नॉलेज ही रखती हैं।
इस अंतर को ख़त्म के लिए, ऐसी पॉलिसी बनाई जानी चाहिए जो महिलाओं की फाइनेंशियल हेल्थ में सुधार के लिए इकोनॉमिक और फाइनेंशियल अवसरों और फाइनेंस से संबंधित एजुकेशन दोनों में जेंडर गैप को चुनौती दें और सामना करें।
फाइनेंशियल लिटरेसी में जेंडर गैप की समस्या उम्र, एजुकेशन के स्तर, विवाह की स्थिति और इनकम के स्तर की डेमोग्राफिक्स से अलग भी मौजूद है।
रिसर्चर्स ने पॉलिसी और गाइडलाइन तैयार की है जो डेवलपमेंट और इम्प्लीमेंटेशन के प्रोसेस में रिस्क लेने वालों और अन्य लोगों की मदद कर सकते हैं।
सिफारिशें इस प्रकार हैं:
यह केवल फाइनेंशियल नॉलेज की कमी नहीं है जो फाइनेंशियल लिटरेसी के संबंध में पुरुषों और महिलाओं के बीच इस अंतर में योगदान देती है।
कम इनकम और फाइनेंशियल अवसर भी एक रोल अदा करते हैं। आत्मविश्वास और रोल का इंवॉल्वमेंट दो ऐसे फैक्टर हैं जो जेंडर के बीच फाइनेंशियल लिटरेसी रेट को भी अफेक्ट करते हैं।
उपरोक्त सभी कारण बताते हैं कि महिलाओं के लिए फाइनेंशियल लिटरेसी की आवश्यकता क्यों है। और अभी इसकी जरूरत क्यों है!