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कोविड के मामलों में गिरावट आने और तेजी से होने वाले टीकाकरण के बाद अब आप जिम्मेदारी से खर्च करना सीखें और हालात को बदतर बनाने से बचें।
आइए आपको रिद्धि से मिलाते हैं। दिल्ली की एक 27 वर्षीय प्रॉडक्ट डिजाइनर, जिसे अपने दोस्तों के साथ शॉपिंग करना, सफर करना और ब्रंच करना अच्छा लगता है।
महामारी के शुरू होने के बाद से ही वह इसके खत्म होने की उम्मीद कर रही थी, ताकि वह अपनी रेगुलर लाइफ फिर से शुरू कर सके।
शॉपिंग सेंटर के पास रहने के बावजूद वह महीनों तक शॉपिंग करने नहीं जा सकी और न ही लंबे समय से पेंडिंग गोवा के ट्रिप पर।
इसलिए, जब दूसरी लहर के बाद महामारी थोड़ी थमी, तो रिधि ने खूब शॉपिंग की और एक महीने की छुट्टी पर गोवा गई। इन सबमें उसने अपने बचाए हुए पैसे खर्च कर दिए, ताकि वह अच्छा महसूस कर सके और खोए हुए समय और अनुभवों की कमी पूरी कर सके।
अगर आप खुद को रिद्धि से रिलेट कर सकते हैं, तो आप भी 'रिवेंज स्पेंडर' हैं।
लेकिन चिंता न करें, आप ऐसे अकेले नहीं हैं। हममें से बहुत से लोगों के मन में बहुत गुस्सा, चिंता या अपना पैसा खर्च करने की तेज इच्छा होती है।
हम सभी लोगों के लिए ज़्यादातर मामलों में लॉकडाउन कठिन रहा है। अपने होमटाउन लौटने से लेकर बेरोजगार होने तक जैसे कई मामले हैं।
इसके साथ ही सामाजिकता में कमी आना, दोस्तों, परिजनों और रिश्तेदारों से ना मिल पाना भी था।
इसने हमारे तैयार होने की वजह को भी को छीन लिया है - एक सिंपल काम, जिससे कई लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ सकती है और हम प्रॉडक्टिव और ऊर्जावान महसूस कर सकते हैं।
हम पिछले दो सालों से लॉकडाउन में हैं, पजामे और पुरानी टी-शर्ट में रहते, अपने घरों तक सीमित।
शुरू में, हमारा ध्यान जरूरतों और चाहतों के बीच अंतर करना और अप्रत्याशित स्थितियों के लिए बचत करना था।
हालांकि, अब इस पोस्ट-कोविड समय में लोग पैसे खर्च करके उन अनुभवों में हिस्सा लेने के लिए उत्सुक हैं, जो उन्होंने पिछले दो सालों में मिस किए हैं।
हमने कोविड पर अपना गुस्सा निकलना बेहतर समझा। वह भी शॉपिंग करके, अच्छे कपड़े पहनकर, बाहर खाना खाकर और बाकी सब करके। यह ठीक वैसा ही गुस्सा है जैसा आपको तब आता है, जब आपका बॉस आपकी बेस्ट फ्रेंड की शादी के लिए छुट्टी से इनकार कर दे या जब मेट्रो में कोई अंकल आपके चेहरे पर खांसे और मास्क पहनने से भी इनकार कर दे।
जो एक खुशी की तरह शुरू हुआ था, बदला लेने के लिए बन गया और हमारा खर्चा करना जल्दी ही असामान्य बन गया। लोग रिवेंज ड्रेस और रिवेंज हील्स पहन रहे थे, एम्प्लॉई रिवेंज में जॉब छोड़ रहे थे और यात्री पहाड़ियों की ओर भाग रहे थे।
सरल शब्दों में कहें तो रिवेंज स्पेंडिंग वह है, जिसकी आपने प्लानिंग की थी लेकिन कोविड के कारण नहीं कर पाए।
यह केवल पीछे छूटे हुए समय की भरपाई के लिए पैसे खर्च करना है। आपकी टू-डू लिस्ट के सभी आइटम, जिन्हें आप समय में वापस जाकर पैसे खर्च करके पूरा करना चाहते हैं, पिछले साल प्लान किए ट्रिप के लिए लंबी छुट्टी या महामारी के बाद नया फर्नीचर लेना।
महामारी से मिले तनावपूर्ण अनुभव से गुजरने के बाद हम सभी मौज-मस्ती करना चाहते हैं और बुरे समय को भूल जाना चाहते हैं।
हम में से कई लोगों ने यह मानना शुरू कर दिया है कि जीवन को पूरी तरह से जीने और लापरवाही से खर्च करने से हम उन कठिनाइयों से बदला ले सकते हैं, जिनका हमने अभी-अभी सामना किया है।
यह रिवेंज-ड्रामा चीन में तब शुरू हुआ जब 7 अप्रैल, 2020 को ग्वांगझोउ में हर्मेस फ़्लैगशिप स्टोर ने 27 लाख डॉलर (लगभग 17 करोड़) की रिकॉर्ड-ब्रेकिंग सेल की।
बाओफक्सिंग ज़ियाओफ़ी या "रिवेंज बाइंग" की एक घटना, गुची, प्रादा, लुई वीटोन और एस्टी लॉडर ने रिकॉर्ड की थी और जिसे पूरी दुनिया में फैलने में देर नहीं लगी।
यहां तक कि दिल्ली में भी एम्पोरियो मॉल एलवी स्टोर के बाहर दुकानदारों को 45 मिनट तक कतार में देखा गया और गुच्ची ने ग्राहकों को टोकन देने शुरू किया।
बाद में, कुछ महीनों के लिए सरोजिनी, लाजपत और गफ्फार मार्केट को कोविड प्रोटोकॉल उल्लंघन करने के कारण कई बार मजबूरन बंद करना पड़ा।
2021 में बेन के सहयोग से फ्लिपकार्ट द्वारा बनाई गई एक रिपोर्ट 'हाउ इंडिया शॉप्स ऑनलाइन' के मुताबिक 2021 में भारतीय ई-कॉमर्स बिज़नेस में 25% की बढ़ोत्तरी हुई। जबकि, यूरोमॉनिटर इंटरनेशनल का अनुमान है कि भारत की लक्जरी गुड्स मार्केट का 2022 में मूल्य 8.5 अरब डॉलर होगा, 2021 के 6 अरब डॉलर से काफी ज्यादा।
2020 में, महिला उपभोक्ता पुरुषों की तुलना में 1.5-2 गुना तेजी बढ़ी है और नए ग्राहकों के बढ़ने में टियर 2 और छोटे शहरों का 80% हिस्सा था।
अगर हम यात्रा की बात करें तो, फिक्की और थ्रिलोफिलिया की एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक कोविड के बाद, लोग पहले की तुलना में दोगुना सफर करना चाहते हैं।
ज्यादा की चाहत में।
आपको क्या लगता है, लोग किससे बदला लेना चाहते हैं? शायद लॉकडाउन की सीमाओं में जबरन संयम की जिंदगी जीने या सिर्फ 'रिटेल थेरेपी' को मिस करने की भावना से।
हम एक साल से घर के अंदर बंद हैं और सेव कर रहे हैं- निश्चित तौर पर हम खर्च कर सकते हैं और बीते हुए समय की भरपाई के लिए थोड़ा और खर्च कर सकते हैं।
यह थोड़ी देर के लिए ही सही पर मूड सही कर सकता है। दूसरी ओर, महामारी के सदमे से उबरने के लिए रुपए के मामले में लापरवाही की जा सकती है।
हम में से बहुत लोग एक भयानक समय के बाद संतोष की भावना चाहते हैं। महामारी से हुए नुकसान ने अधिकांश लोगों को यह मानने के लिए प्रेरित किया है कि जीवन छोटा है और आप केवल एक बार जीते हैं।
मिंट के एक आर्टिकल में कहा गया है कि इस तरह के खर्च को "रिअक्टैंस" नामक मनोवैज्ञानिक कांसेप्ट से जोड़ा जा सकता है।
रिअक्टैंस का मतलब है लोगों की वह मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया, जो उनके लिए किसी चीज को प्रतिबंधित करने या किसी चीज को उनसे दूर रखे जाने पर होती है।
लोग उस चीज की ओर ज्यादा तेजी से खींचे चले जाते हैं, जो उनकी सीमा से बाहर है या उनकी पसंद प्रतिबंधित है।
ऐसी प्रतिक्रिया शॉपिंग करने, बाहर खाने, फिल्में देखने या बदले की भावना से यात्रा करने जैसी लक्ज़री में हिस्सा लेने की इच्छा को बढ़ाने में योगदान कर सकती है।
इसी आर्टिकल में व्यवहार अर्थशास्त्री और सबलिमिनल आइडियाज की डायरेक्टर, अश्लेषा स्वामीनाथन कहती हैं, “लॉकडाउन के दौरान लोग लंबे समय तक नॉन-एसेंशियल या लक्ज़री का सामान नहीं खरीद सके थे। अगर उन्हें लॉकडाउन से पहले इन चीजों को नियमित तौर पर खरीदने की आदत थी, तो चीजें ठीक होने पर वे ज्यादा खर्च कर सकते हैं क्योंकि उन्हें लॉकडाउन के दौरान छीन ली गई शॉपिंग की खुशी (सकारात्मक भावना) की भरपाई करने की जरुरत महसूस हो सकती है।”
लेकिन, यह ध्यान रखें कि ऐसी लापरवाही इस खराब समय में आपके बजट पर चोट कर सकती है।
अपने आप से पूछें ये सवाल:
अगर इनमें से ज्यादातर का उत्तर हां है, तो आपको पता होना चाहिए कि आपके खर्च में बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं।
क्रेडिट कार्ड का बढ़ता कर्ज, पैसे खत्म होना, और अपने मंथली एवरेज से ज्यादा खर्च करना इसी की ओर इशारा करते हैं कि आप रिवेंज स्पेंडिंग की होड़ का हिस्सा हैं।
जहां खर्च करना आपको थोड़े समय के लिए संतुष्टि दे सकता है। यह जरूरी है कि आप अपनी सारी सेविंग खर्च न करें।
ज्यादा रिवेंज स्पेंडिंग करने से लॉन्ग-टर्म फ़ाइनेंशियल दिक्कतें हो सकती हैं।
दूसरी तरफ, जहां कई लोग अभी भी महामारी के बाद जिंदगी को ठीक कर रहे हैं, वहीं बाकी इनकम में कटौती और नौकरी छूटने के नुकसान का सामना कर रहे हैं।
ऐसी फ़ाइनेंशियल कठिनाइयों के समय में रिवेंज स्पेंडिंग से समस्या बढ़ सकती है। यह "मैं आपको दिखा दूंगा" वाली मानसिकता से प्रेरित है और अगर इसे अनियंत्रित छोड़ दिया गया, तो यह आपके फ़ाइनेंशियल हालात और रिश्तों को और खराब कर देगी।
रिवेंज शॉपिंग से जुड़े कुछ आम खतरे इस हैं:
- बचाने की क्षमता में कमी
रिवेंज स्पेंडिंग से व्यक्ति की बचत करने की क्षमता खतम हो जाती है। अपनी बचत करने की आदत खोने से आपको कई तरह के खर्चों को कवर करने के लिए अनावश्यक लोन लेने पड़ते हैं, जिससे आपका तनाव बढ़ता है।
- कर्ज में पड़ना
एक इंपल्सिव और कंपल्सिव खरीदार बनना रिवेंज स्पेंडिंग का सबसे गंभीर परिणाम है।
कुछ लोग खर्चों के लिए नियमित तौर पर क्रेडिट कार्ड या पर्सनल लोन के जरिए पैसे उधार लेना शुरू कर सकते हैं।
क्रेडिट तक आसान पहुंच आपको एक क्रोनिक स्पेंडर बना सकता है, जिससे आपके फ़ाइनेंशियल गोल का नहीं पूरे हो पाते और आप कर्ज के जाल में फंसने लगते हैं।
- फ़ाइनेंशियल गोल से समझौता
फ़ाइनेंशियल प्लानर बताते हैं कि रिवेंज स्पेंडिंग के कारण अक्सर फ़ाइनेंशियल गोल से समझौता होता है, जिसका प्रभाव व्यक्ति की फ़ाइनेंशियल स्वतंत्रता पर पड़ता है।
रिवेंज स्पेंडिंग से कैसे बचें?
खर्च करने की इच्छा को रोकने के लिए हमें पहले यह समझना होगा कि यह आती कहां से है।
रिवेंज स्पेंडिंग भावनाओं से प्रेरित व्यवहार है। यह आज के समय की अप्रत्याशित स्थितियों में लोगों को सुरक्षित महसूस कराती है।
यह अनिश्चितता डर की नकारात्मक भावनाको जन्म देती है। कुल मिलाकर, लोग ऐसे बर्ताव करते हैं जिससे नकारात्मक भावनाएं कम होती हैं।
अब सुरक्षा की भावनात्मक मांग भविष्य की फ़ाइनेंशियल स्थिरता की इच्छा को पीछे कर देती है।
अब महीनों की बचत (या अनिच्छुक बचत, क्योंकि खर्च करने के लिए बहुत कुछ नहीं था) के बाद थोड़ा खर्च उचित है। लेकिन, अपने आराम के लिए ज्यादा खर्च करना या पिछले साल में छूट गई हर चीज के लिए खर्च करना उल्टा पड़ सकता है।
खर्च करने की इच्छा को कंट्रोल करने के लिए आप नीचे बताए गए काम कर सकते हैं:
- हर चीज का विश्लेषण करें
बाहर निकलकर सब कुछ अपने कार्ट में डालने से पहले अपने आप से सवाल करें- क्या यह आपके पास पहले से है? आप इसे कितनी बार इस्तेमाल करेंगे?
क्या आपने कीमतों की तुलना करके यह सुनिश्चित किया है कि आपको सबसे अच्छी डील मिल रही है? क्या आप संतुष्ट हैं कि आपको अभी इसकी आवश्यकता है?
क्या इसके लिए कोई और बेहतर ऑप्शन है? क्या यह खरीदने लायक है? अपने हर मोनेटरी निर्णय से पहले एक बार विचार करें।
- अपने खर्चों को ट्रैक करें
सबसे पहले एक बजट बनाएं। अगर आपके पास बजट है, तो आप अपने खर्चों को सटीक रूप से व्यवस्थित कर पाएंगे।
हर प्रकार के खर्च के लिए एक फिक्स्ड अमाउंट अलग रखने से आप जल्दबाजी में खरीदारी करने से बचेंगे।
इसके अलावा, आप यह आकलन कर पाएंगे कि आप कहां ज्यादा खर्च कर रहे हैं। बजट की मदद से आप अपने खर्चों को ट्रैक कर सकते हैं।
इससे हमें यह पता करने में भी मदद मिलती है कि हमारे फ़ंड कहां खर्च हो रहे हैं।
जब आप खरीदारी करते हैं, तो नोट करें कि आपने क्या खरीदा है और इसकी लागत कितनी है।
रियल-टाइम में अपने खर्च का नियमित ट्रैक रखने से आपको पैटर्न समझने में मदद मिल सकती है - जैसे कि वह दिन जब आप खर्चा करते हैं, ऐसी स्थितियां जिनमें आपको खर्च करना पड़ता है और ऐसी वेबसाइट जहां आप ज्यादा समय बिताते हैं।
जब हम अपने हफ्ते का खर्च जोड़ते हैं, तो इससे खरीदारी करने की इच्छा पर भारी प्रभाव पड़ सकता है।
अपने खर्चे को ट्रैक करने के लिए आप स्मार्टफोन ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं।
कई क्रेडिट कार्ड कंपनियां आपके खर्चों पर नजर रखती हैं। देखें कि कौन-से खर्च जरूरी नहीं हैं और किनसे बचा जा सकता है।
- विंडो शॉपिंग करें
महामारी के बाद जब पहली बार किसी मॉल या सुपरमार्केट में जाएं, तो विंडो शॉपिंग करने की कोशिश करें।
अपने क्रेडिट कार्ड घर पर छोड़ कर जाना और केवल थोड़ा कैश लेकर खरीदारी करने जाना एक अच्छा विचार है।
अगर आप विंडो शॉपिंग करते हैं या बिना किसी पैसे के चीजें ब्राउज़ करते हैं तो आपको खर्च करने की जरुरत से राहत मिलेगी।
साथ ही, आप अनावश्यक चीजों पर पैसा खर्च नहीं करेंगे।
हालांकि, अब आप अपने फ़ोन से भी पेमेंट कर सकते हैं। अगर आप अकेले नहीं जा रहे हैं तो अपना फोन परिवार के सदस्यों को दे दें।
इससे जब भी आप कुछ खरीदना चाहेंगे तो आपको अपना फोन मांगना पड़ेगा और इस एक्स्ट्रा स्टेप से आप इम्पल्सिव खरीदारी करने से बच सकते हैं।
- जरूरत से ज्यादा पैर न पसारें
अपनी सेविंग को सिर्फ इसलिए न उड़ाएं क्योंकि आपको लगता है कि आप इसकी जरुरत है। अगर आपके पास पिछले साल की छुट्टी के लिए कुछ पैसा अलग रखा था जिसे आप नहीं ले पाए, तो उसे इस साल में यात्रा के लिए इस्तेमाल करें (अगर हालात अनुमति देते हैं)। लेकिन, पिछली कमी की भरपाई करने के लिए अपनी लागत को दोगुना न करें और न ही इस वर्ष दोगुनी छुट्टियां लें, ताकि पिछले की भरपाई हो सके तो आपकी पूरी सेविंग खत्म हो सकती है।
जैसा कि हमने देखा है, इमरजेंसी के लिए कैश रिजर्व होना जरूरी है।
- अपने फाइनेंस को संयम में रखें
अगर आपका कोई क्रेडिट कार्ड लोन है जो आप पे नहीं कर रहे हैं, क्रेडिट कार्ड लोन को मोर्टगेज में रीफाइनेंस किया है, जो और ज्यादा बढ़ गया है या सेविंग गोल पूरे नहीं हो रहे। आप दोस्तों और परिवार के साथ बातचीत करने से ज्यादा समय शॉपिंग करने में बिताते हैं, तो आप अधिक खर्च कर रहे हैं और जिससे आपकी पर्सनल या फ़ाइनेंशियल हेल्थ को नुकसान हो सकती है।
ऐसी चीजें खरीदना या अनुभव करना जो आपके जीवन को महत्व देते हैं, स्मार्ट खर्च में शामिल है।
अगर आप समझदारी से खर्च करें तो आप इन वस्तुओं और अनुभवों को बिना कर्ज में डूबे खरीद सकते हैं और उन जीवन लक्ष्यों के लिए बचत कर सकते हैं, जो आपके लिए जरूरी हैं।
अगर आप उन उद्देश्यों को नहीं जानते तो आप शायद अपना पैसा बर्बाद कर रहे हैं।
- लिमिट सेट करें
क्रेडिट और डेबिट कार्ड की लिमिट सेट करना आसान हो गया है। अगर आपको लगता है कि आप बेरतह खर्च कर रहे हैं तो उसमें कटौती करें।
प्रीपेड कार्ड एक ऑप्शन है, जो आपके हाथ को बेलगाम होने से रोकता है।
लॉकडाउन की स्थिति में कई लोगों के लिए फ़ाइनेंशियल अनुशासन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
अगर स्वयं सहायता काम नहीं करती तो सक्षम फ़ाइनेंशियल एडवाइजर आपको रिवेंज स्पेंडिंग से दूर रहने में मदद कर सकते हैं, जो केवल आज की खुशी और कल के दर्द के अलावा कुछ नहीं है।
- एक्टिविटी में बदलाव करें
जब आप लॉकडाउन से बाहर निकलते हैं, तब आपका मन कार में बैठकर बाजार जाने के लिए कर सकता है।
जब आप वहां पहुंचेंगे, तो यह लगभग तय है कि आप खर्च करना शुरू कर देंगे।
यह एक ऐसी एक्टिविटी है जिसे आप याद कर रहे हैं और मानव स्वभाव यह बताता है कि आप ज़्यादा खर्च करने का कारण अपने पिछले दो महीनों के मितव्ययी जीवन को बताएंगे।
उसे कुछ और समय दें। पहले कुछ दिनों के लिए कुछ अलग करने की कोशिश करें, जैसे फ़िजिकल एक्टिविटी- पैदल चलना, दौड़ना या साइकिल चलाना जो कि खाली समय को बिताने का एक बेहतर तरीका है।
फिलहाल के लिए यह आपको रिटेलर्स से दूर रखेगा। जब आप जाएंगे, तब आपकी इच्छा कम तीव्र होगी और आप खर्च करने के निर्णय लेने की बेहतर स्थिति में होंगे।
- अपनी फ़ाइनेंशियल कमिटमेंट बढ़ाएं
लॉकडाउन के दौरान आप सिर्फ जरूरत की चीजें खरीदकर गुजारा करने में सक्षम थे।
इससे आपके पास सेविंग बढ़ी होंगी जिससे आपने यह महसूस किया होगा है कि आप अपने पिछले कई अनावश्यक खर्चों से बच सकते हैं।
व्यवस्थित तरीके से इनवेस्ट करते रहें। अगर आपके बचत खाते में बड़ी रकम जमा है, तो जल्द से जल्द इनवेस्ट करें।
इस तरह, आपको अधिक खाने का मन नहीं होगा।
- FOMO से लड़ें
कुछ खोने का डर (FOMO) इस बात पर प्रभाव डाल सकता है कि आप अपना पैसा कैसे खर्च करते हैं और आपको उन चीज़ों को खरीदने के लिए प्रेरित कर सकता है जिन्हें आप अफ़्फोर्ड नहीं कर सकते। फ़ाइनेंशियल FOMO से डील करने के लिए इन यह 5 टिप्स देखें।
अधिक खर्च से बचने के लिए सस्ते ऑप्शन देखें या अगर आपको लगता है कि आप पियर प्रेशर में उन चीजों पर खर्च कर रहे हैं जिनकी जरुरत नहीं है, तो अपने सोशल मीडिया में बिताने वाले समय को कम करें।
- '30-डे रूल' ट्राई करें
नियम एकदम सरल है: अगर आपको अपनी पसंद की कोई चीज दिखती है, तो उसे खरीदने से पहले 30 दिन रुकें। अगर आप 30 दिनों के बाद भी उस चीज को खरीदना चाहते हैं, तो जाकर ले लें।
आप पैसे बचाएंगे अगर आप उसके बारे में भूल जाते हैं या महसूस करते हैं कि आपको इसकी जरुरत नहीं है। इससे पैसा खर्च नहीं होगा, बल्कि बचेगा।
अगर आप इम्पल्स खरीदारी करते हैं, तो 30-डे रूल आपको विलंबित संतुष्टि के बारे में सिखा सकता है और आपको बुद्धिमानी से फ़ाइनेंशियल निर्णय लेने में मदद कर सकता है।
- 'ना' कहना सीखें
जब चीजें सामने आती हैं और खर्च करने के अवसर बढ़ जाते हैं, तब बढ़ते खर्च से बचना मुश्किल हो सकता है।
पियर प्रेशर के आगे झुकने की बजाय इससे बचना जरूरी है- और "ना" कहना पूरी तरह से सही है।
सोशल एक्टिविटी पर खर्च करने से पहले तय करें कि कौन-सी एक्टिविटी जरूरी है और ना कहें जब आपको और आपके बैंक अकाउंट को ब्रेक की जरुरत हो।
बचत और सेल्फ-कंट्रोल के लंबे समय के बाद ज्यादा खर्च करना पहले से कहीं अधिक आकर्षक लगता है।
हालांकि रिवेंज स्पेंडिंग हमेशा बुरा नहीं है, लेकिन यह जल्द ही नियंत्रण से बाहर हो सकता है और आपके फ़ाइनैंस के लिए बुरा साबित हो सकता है।
पहले से ही ओवर स्पेन्डिंग की तैयारी करके इससे बचें।